गणित का उपयोग एवं महत्व, गणित शिक्षा के उद्देश्य

गणित का उपयोग एवं महत्व

समस्त मानव का संपूर्ण जीवन गणित से जुड़ा हुआ है गणित एवं मानव जीवन का संबंध सदियों  से रहा है मानव जाति की उन्नत में गणित अत्यंत लाभदायक सिद्ध हुआ है मानव जीवन का कोई भी क्षेत्र गणित के बिना कल्पना करना संभव नहीं है लगभग सभी कार्य धंधे एवं औद्योगिक, विद्यालय, फैक्ट्रियां, व्यवसाय, क्रय विक्रय, लेन देन, बैंकिंग प्रणाली आदि के कार्य गणित के ज्ञान पर निर्भर करते हैं उसके गणितीय ज्ञान के बिना कोई भी राष्ट्रीय उन्नत नहीं कर सकता है अतः  नेपोलियन ने अपनी भाषा में कहा है कि गणित की उन्नत के साथ-साथ देश की उन्नत का घनिष्ठ संबंध है गणित का हमारे जीवन में निम्नलिखित उपयोग है -

हमारे दैनिक जीवन में क्रय-विक्रय से लेकर अन्य क्रियाएं जैसे करना करना मापना और तौलना आदि गणित पर ही निर्भर करती है। 

वाणिज्य व्यापार में प्रयोग विभिन्न रूपों  में गणित का प्रयोग करते हैं।

विज्ञान में गणित का प्रयोग

गणित को विज्ञान का जनक कहा जाता है विज्ञान के सभी उपकरण गणित के नियमों एवं गणना के द्वारा बनाए गए हैं । सभी प्रकार के अनुसंधान गणनाए व्याख्या एवं परिमाणों  को परिवारों को प्रमाणित करने के लिए गणित का प्रयोग किया जाता है गणित विज्ञान की नीँव है गणित विभिन्न विज्ञानों रासायनिक, भौतिक, इंजीनियरिंग,मेडिकल मेडिकल उपकरणों को बनाने में आदि के नियमों को स्पष्ट रूप देता है अतः रोजर बेकन ने सत्य कहा है कि गणित सभी विज्ञानों का द्वार योग कुंजी है।

अतः गणित गणित कार्य करने की विधियां देता है।

गणित सभी प्रकार के समस्याओं को हल करने में किसी ना किसी प्रकार से हमारी सहायता करता है।

समस्या के निराकरण के लिए समाधान के लिए सही अभिवृद्धि और सभी प्रकार की समस्याओं को व्यवस्थित रूप से हल करने की योग्यता भी देता है।


गणित शिक्षा के उद्देश्य

  • राष्ट्रीय पाठ्यचर्या की रूपरेखा 2005 के अनुसार गणित शिक्षण के उद्देश्य निम्नलिखित हैं-
  • बच्चों की विकार प्रक्रिया का गणितीय करण करना  ।
  • बच्चे गणित के साथ सीखे ।
  • दर्दे तकनीक का कहां और कैसे उपयोग किया जाए कि बच्चे प्रभावशाली गणित सीखें।
  • गणित को बच्चे के जीवन अनुभव का एक अंश बनाना।
  • बच्चों को रिपोर्ट समझते हैं बनाने एवं  उनके हल प्रस्तुत करने के लिए प्रेरित करना।
  • बच्चों में तार्किक चिंतन का विकास करना।
  • बच्चों को गणित के मूल संरचनाओं जैसे अंकगणित, बीजगणित, ज्यामिति और त्रिकोणमिति को समझाना।

उपरोक्त देवों का डेविड व्हीलर के कथन में निहित है उनके अनुसार बहुत सारा गणित जाने के बजाय यह जानना अधिक उपयोगी है कि गणितीयकरण करण कैसे किया जाए।

संकीर्ण उद्देश्य 

इस उद्देश्य के अंतर्गत रोजगार योग्य ऐसे वयस्कों का निर्माण करना है जो सामाजिक और आर्थिक विकास में योगदान दे सकें यह संख्यात्मक संक्रियाओं  जैसे मापन, भिन्न, प्रतिशत और अनुपात से संबंधित है। अतः गणित का सीमित लक्ष्य है लाभप्रद क्षमताओं का विकास करना।


उच्च उद्देश्य 

इस उद्देश्य के अंतर्गत बढ़ते बच्चे के आंतरिक संसाधनों का विकास करना है अर्थात बच्चे में चिंतन का विकास करना है ताकि वें अमूर्त  विचारों के साथ काम कर सकें। 

  • गणित विषय का उच्च  लक्ष्य है कि बच्चे
  • गणितीय ढंग से सोच सकें।
  • तर्क कर सकें।
  • मान्यताओं के तार्किक  परिणाम निकाल सके।
  • अमूर्त को समझ सके।
  • समस्या पहचान कर उसका हल ढूढ़ सके।

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